व्रत में खाए जाने वाले कुट्टू, सामा, सिंघाड़ा और दुग्ध उत्पादों में विभिन्न पोषक गुण होते हैं। इनका सेवन ऐसे करें कि ये न केवल आपको पर्याप्त ऊर्जा दें, बल्कि आपके शरीर को भरपूर पोषण भी प्राप्त हो सके।
सेवन के तरीके से मिलेगा पोषण |
दुग्ध उत्पाद और आटे दुग्ध उत्पाद जैसे दूध, दही या पनीर, ये प्रोटीन के अच्छे स्रोत हैं। लेकिन इनका सेवन किसी न किसी अनाज जैसे राजगिरा, कुटू या सिंघाड़े के साथ करेंगे तो बेहतर फ़ायदा मिलेगा।
दरअसल, दूध-दही में कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं लेकिन इनमें रेशा नहीं होता जिसके कारण ये कई बार क़ब्ज़ियत या एसिडिटी कर सकते हैं। इनका सेवन कुट्ट, राजगिरा और सिंघाड़ा के साथ करने से रेशा मिलेगा, साथ ही ऊर्जा भी प्राप्त होगी।
दही और साबूदाना
इसी प्रकार दही के साथ साबूदाना वड़ा या समा चावल का सेवन करना फ़ायदेमंद है। दही पाचन क्रिया के लिए अच्छा होता है, वहीं समा और साबूदाना केवल कार्बोज़ व ऊर्जा देते हैं। दही के साथ इनका संतुलन लाभ देगा।
दुग्ध उत्पाद व फल
अगर दूध या दही का सेवन कर रहे हैं तो उसके साथ फल लिए जा सकते हैं। जैसे केले का शेक या सेब/अनार को दही में डालकर सेवन करने से बहुत सारे अन्य खनिज और विटामिन की पूर्ति की जा सकती है। इसके साथ रेशा भी मिल जाता है।
साबूदाना और आलू
साबूदाने में फाइबर नहीं होता। उसमें आलू मिलाने से रेशा मिल जाता है और साबूदाने की गुणवत्ता भी बढ़ जाती है। परंतु अगर आपका वज़न ज़्यादा है तो इसकी मात्रा सीमित रखनी है।
मेवों का महत्व
कुछ लोग तला हुआ साबूदाना, कुट्टू, समा आदि का सेवन व्रत में नहीं करते हैं। वे सूखे मेवे, जैसे बादाम, मूंगफली, अखरोट आदि का सेवन कर सकते हैं। इन मेवों से न केवल प्रोटीन और बहुत सारे खनिज मिलते हैं, बल्कि साथ में अच्छे वसा भी मिलते हैं जो हृदय के लिए फ़ायदेमंद होते हैं। इसलिए इनका सेवन साबूदाने में मिलाकर करने या पीसे हुए मेवों का उपयोग दूध के साथ करने से ये कमी पूरी हो जाती है।
अधिक ऊर्जा के लिए
सुबह-सुबह सूखे मेवों का सेवन करने से एसिडिटी नहीं होती और सुबह के समय अच्छे पोषक तत्व भी मिल जाते हैं। आप व्रत के दौरान इनका सेवन सुबह के वक़्त कर सकते हैं।